
Jeevan Ye Saral Hai, Ya Ye Hai Gambheer, Kaisi Hai Mushkil

जीवन, जीवन है क्या?
इक उद्धेश्य, संतुष्टि या फिर पूर्णता
जीवन में मेरे आते प्रश्न बहुत, नहीं होते सम्पूर्ण
कुछ साधारण और कुछ होते महत्वपूर्ण
जब भी होता खालीपन जीवन में
निराशा छा जाती मन-मन में
कभी मैं कहूँ जीवन है सरलता
और कभी ये लगता मुझे गम्भीरता,
जिन्दगी के खेल में जीतुं भी मैं, हारु भी मैं,
इससे मेरा कुछ कहाँ है बिगडता,
मैं तो जो हूँ रहती वही हूँ,
फिर इस सब की है क्या चिता,
लेकिन जब भी माने हम जीवन को माने हम गम्भीरता,
न हम हंस पाए, ना ही मुस्कुराए,
चेहरे हमारे लटक गए और हम मुरझाये,
दोस्तों, मेरा तो है ये ही कहना,
हंसते रहो, मुस्कुराते रहो, जभी है जीवन में सरलता,
जिस दिन तुम गंभीर हो गये,
फिर तो भूलो तुम चहकना और महकना.
5 comments
Really inspiring poem…
Nice attempt…
rightly said. seriousness should not override happiness in life.
thanks
thanks to all