Guru Nanak Jayanti : गुरु नानक जयंती कब है? गुरु नानक पर निबंध

Guru Nanak Jayanti : गुरु नानक जयंती कब है? गुरु नानक पर निबंध
November 7, 2022 0 Comments

दिवाली के कुछ ही दिन बाद एक और प्रकाशोत्सव आता है वह है गुरु पर्व। गुरु पर्व मतलब श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाशोत्सव दिन Guru Nankak Jayanti : गुरु नानक जी का जन्म 1469 को तलवंडी में हुआ था, जो आज की इस दौर में पाकिस्तान में है।

Guru Nanak Jayanti : गुरु नानक जयंती कब है? गुरु नानक पर निबंध

इस दिन खुद भगवान ने धरती पर जन्म दिया था। आज भी लोग उन के दिखाए गए मार्ग पर उनके अनुयाई चलते हैं। इस दिन दुनिया के किसी भी कोने में, कोई गुरुद्वारा है तो वह जरूर जगमगाता है।

Guru nanak jayanti-

इस दिन धरती पर भगवान ने जन्म लिया था। आज भी उनके अनुयायी नानक जी के दिखाए मार्ग पर चल रहे हैं। दुनिया के किसी भी कोने में अगर कोई गुरुद्वारा है तो वह आज के दिन जरूर जगमगाएगा। हर तरफ रोशनी ही रोशनी होती है,शब्द पाठ, जो मंत्र है वह मोहित करने वाले होते हैं। नगर में कीर्तन किया जाता है। झांकियां निकाली जाती हैं। हर तरफ भक्ति का माहौल होता है।

वैसे तो गुरु पर्व पूरे देश में मनाया जाता है। लेकिन पंजाब में इस त्योंहार की रौनक सबसे अलग होती है। बहुत दिन पहले ही गुरुद्वारों में विशेष कार्यक्रम शुरू हो जाता है । प्रकाशोत्सव वाले दिन जगह-जगह लंगर लगाते हैं। गतका खेलते हैं और कलाबाजी भी दिखाई जाती है।

गुरु नानक देव जी का जन्म ( Guru nanak jayanti )-

नानक देव जी का जब जन्म हुआ, तब पता चल गया था कि वह कोई साधारण बालक नहीं है। उनके पैदा होते ही उनके पूरे घर में रोशनी जगमगा गयी थी। नानक जी के पिता कालू चंद्र और माता तेरी पत्नी उनका नाम नानक रखा था।

वह थोडे बड़े हुए तो पंडित दीनदयाल जी के पास भेजा गया लेकिन गुरु जी ने कुछ ऐसे उनसे सवाल किए जिनके जवाब पंडित जी को भी नहीं पता था।

सभी लोग उनके आगे नतमस्तक हो गए। नानक जी हमेशा सांसारिक विषयों से दूर और आध्यात्मिक विषयों की तरफ रुझान रखते थे। उन्होंने आध्यात्मिक चिंतन शुरू कर दिया।

चमत्कार-

  1. 1. एक बार गुरु नानक देव भैंस चराने गए। लेकिन वहां पर वह ध्यान मग्न हो गये। भैंसों ने आसपास के खेतों की सारी फसल को नष्ट कर दिया। तब गांव के लोग सरपंच राय बुलर के पास गए और जो गुरु नानक जी से पूछा गया तब उन्होंने कहा मुझे नहीं लगता कि आपका कोई नुकसान हुआ है।

घबराओ मत उसके ही जानवर है,उसका ही खेत है और उसने ही इन्हें चरवाया है। जो उसने एक बार फसल उगाई है तो वो फिर से उग देगा। एक बार फिर नानक जी ध्यान में लीन हो गए। जब लोग दोबारा खेत गए तो वह यह देखकर हैरान रह गए कि वहां पर फसलें पहले की तरह लहरा रही थी।  

 2. एक बार वो खुले आसमान में ही लेट गए। सूरज बुरी तरह से तप रहा था। जिसकी रोशनी उनके चेहरे पर पड़ रही थी। तभी अचानक एक सांप आया और बालक नानक जी के चेहरे पर फन फैलाकर खड़ा हो गया।

तभी वहां से जमीदार रायपुर लाल गुजररे, उन्होंने यह अद्भुत दृश्य देखा तो आश्चर्य में पड़ गए और उन्होंने नानक जी को मन ही मन प्रणाम किया और इस घटना की स्मृति में उस जगह गुरुद्वारा मांजी साहिब का निर्माण किया गया।

3. इसी तरह गुरु नानक जी 12 वर्ष के थे तो उनके पिता ने उन्हें ₹20 दिए और कहा कि तुम अपना कोई व्यापार, बिजनेस शुरू करो। उन्होंने सोचा कि इस तरह वह व्यापार के बारे में कुछ जान लेंगे। पर गुरु नानक जी ने वह ₹20 गरीब और संत व्यक्तियों को खाना खिलाने में खर्च दिए।

जब उनके पिता ने उनसे पूछा कि तुम्हारी व्यापार का क्या हुआ, उन्होंने कहा कि मैंने पैसों से सच्चा व्यापार किया है।

अपनी बाल अवस्था में श्री गुरु नानक जी ने कई प्रादेशिक भाषाएं ऐसी कि जैसे फारसी, अरबी सीखी। उनका विवाह 1487 में हुआ और उनके दो पुत्र भी हुए। बाद में श्री गुरु नानक देव तीर्थ स्थानों पर दर्शन के लिए निकल गए।

ईश्वर एक है (guru nanak jayanti )-

श्री गुरु नानक देव जी ने यह कहा कि ईश्वर एक है। उन्होंने सिखाया कि उसकी उपासना सब धर्मों के लिए एकही है। गुरु नानक जी ने 10 सिद्धांत भी दिए।

गुरु पर्व के दिन कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। गुरुद्वारे में अखंड पाठ होता है। सड़क किनारे छबीले लगाते हैं। सिख लोग अपना गतका दिखाते हैं। स्कूलों में बच्चे शब्द गाते हैं।

गुरु नानक जी से हमें क्या शिक्षा मिलती है-

नानक जी की सभी उपदेश मानव कल्याण के कार्यों से हमें बहुत शिक्षा मिलती है। जिनमें से कुछ इस तरह है-

1. मेहनत करना-

गुरु नानक देव जी ने मेहनत कर, ईमानदारी से जीवन जीने का हमें पाठ सिखाया। उन्होंने कहा कि किसी अमीर की शानदार भोजन से गरीब की मेहनत से कमाई हुई मोटे अनाज की रोटी भी स्वादिष्ट होती है।

2. सुमिरन-

गुरु नानक जी ने हरपल ईश्वर का नाम जपने और सुनने को सही बताया। उन्होंने गुरु नाम जपने के लिए दो सुझाव दिए कि एक तो ईश्वर का नाम सत्संग में रहकर लिया जा सकता है। साधु संतों की मंडली के साथ सुमिरन किया जा सकता है। दूसरा एकांत में रहकर भी आप ईश्वर का ध्यान कर सकते हैं। सुमिरन करने से आपको शक्ति मिलती है और आपका तेज भी बढ़ता है।

3. बाँटना –

हमेशा बांटकर खाना, नानक देव जी ने सबको मिल बांट कर खाना सिखाया, रहना सिखाया। जितना भी है, उसे सभी के साथ मिल बांटकर साझा करने का पाठ पढ़ाया।

गुरुजी की शिक्षा से प्रेरित होकर सिख लोग अपनी आय का दसवां भाग दान करते हैं और इसी से लंगर चलता है।

तो दोस्तों, यह है गुरु नानक जयंती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी। उम्मीद है आपको यह ब्लॉग पसंद आया होगा। ऐसे ही और अन्य तथ्यों और अन्य आर्टिकल के लिए हिंदी में सब कुछ पेज से जुड़े रहे।

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