Chirayta Ayurvedic Tips Jadi Buti ka Ilaz

Chirayta: Ayurvedic Tips, Jadi-Buti ka Ilaz in Hindi
November 18, 2022 0 Comments

आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट चिरायता जड़ी बूटी से इन स्वास्थ्य परेशानियों से आपको निजात मिलेगी। आयुर्वैदिक रिमेडी टिप्स, आज मैं आपके लिए चिरायता नाम की जड़ी के बारे में बताने आई हूं। इसके फायदे जानकर आप इसका इस्तेमाल जरूर करना चाहेंगे।

जड़ी बूटी के फायदे यह हम सब जानते हैं कि प्राचीन समय में गंभीर से गंभीर रोगों का इलाज करने के लिए जड़ी बूटियों का इस्तेमाल होता था। आज भी इनकी उपयोगिता उसी तरह बनी हुई है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति या जाने के बावजूद भी अंग्रेजी दवाइयों के साथ-साथ रोग आयुर्वेदिक दवाइयों का भी उपचार करते हैं।

Chirayta: Ayurvedic Tips, Jadi-Buti ka Ilaz in Hindi
Chirayta: Ayurvedic Tips, Jadi-Buti ka Ilaz in Hindi

इसकी खास बात यह है कि इससे शरीर को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता। आज मैं आपको इसी जड़ी-बूटी के लिए बताने के लिए जा रही हूं। इसलिए इसमें हम चिरायता नाम की जड़ी के बारे में बात करने जा रहे हैं, उसके फायदे जानकर आप जरूर इन खास रोगों में इसका इस्तेमाल करना चाहेंगे.

चिरायता का उपयोग सालों से सूजन और पाचन क्रिया के उपचार के लिए किया जाता रहा है। ऐसे ही कुछ फायदे आज मैं आपको बताने जा रही हूं बस एक बात जरूर ध्यान में रखें किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने पर आप चिरायता पर निर्भर रहने की बजाय इलाज के लिए डॉक्टर से जरूर संपर्क करें।

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चिरायता के फायदे –

चिरायता का काढ़ा पीने से खांसी बुखार और जुकाम में लाभ मिलता है। इसका काढ़ा कोरोनावायरस में भी जरूर पीना चाहिए। इसके इस्तेमाल के बारे में तो भारत सरकार के आयुष मंत्रालय की ओर से भी कहा गया है.

इसके सेवन से इम्यूनिटी स्ट्रांग होती है। इसमें मैग्नीफेरिन इन बायोएक्टिव कंपाउंड पाया जाता है। जो इम्यूनोमोड्यूलेटरी को दर्शाता है। जिससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.

हालांकि स्वाद में थोड़ा कड़वा होता है लेकिन रोगों से लड़ने में उतने फायदेमंद है। इसमें अमारोगेंटिन, बायो एक्टिव कंपाउंड होते हैं जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने का काम करता है.

एनीमिया में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इससे शरीर में खून की कमी पूरी होती है। अगर आपको ब्लड की कमी है तो उसका खाना पीना जरूर शुरू करें.

बुखार खांसी और जुखाम के लिए चिरायता –

चिरायता से बुखार, खांसी और जुकाम का घरेलू इलाज किया जा सकता है। दरअसल यह सारी समस्याएं वायरल इंफेक्शन की वजह से होती है। ऐसे में चिरायता में मौजूद एंटीवायरल प्रॉपर्टीज फायदेमंद हो सकती है। बताया जाता है कि चिरायता की जड़ से बुखार खांसी और जुखाम में राहत मिल सकती।

ब्लड शुगर में चिरायता –

चिरायता ब्लड शुगर लेवल को कम करने में हेल्प कर सकता है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की ओर से पब्लिक रिसर्च पेपर में इस बात को बताया गया है। शोध के मुताबिक चिरायता में अमारोगेंटिन, बायोऐक्टिव कंपाउंड होता है और यह कंपाउंड एंटी डायबिटिक प्रभाव दिखाता है। इसी वजह से माना जाता है कि चिरायता ब्लड शुगर लेवल को कम करता है.

लीवर के लिए चिरायता-

चिरायता के पौधे का इस्तेमाल लीवर से रिलेटेड कमी को दूर करने के लिए वर्षों से किया जा रहा है। एक रिसर्च में यह बताया गया कि स्वेरचिरिन कंपाउंड चिरायता में जो होता है वह हैपेटॉप्रोटेक्टिव गतिविधि को दर्शाता। है यह प्रभाव लीवर को क्षति से बचाने में हेल्प करता है। इसके कारण लीवर रिलेटेड जितनी भी बीमारियां हैं, हेपेटाइटिस, हेपेटाइटिस बी और सी से बचा जा सकता है.

चिरायता खून को साफ करने में हेल्प करते हैं –

चिरायता के गुणों का उपयोग खून साफ करने वाली आयुर्वेदिक दवाई के रूप में किया जाता है। चिरायता के सेवन से खून साफ होता है फिलहाल तो यह स्पष्ट नहीं है कि चिरायता में मौजूद कौन सा गुण खून साफ करने में मदद करता है.

भूख बढ़ाने में मददगार-

चिरायता का यूज भूख बढ़ाने के लिए भी किया जा सकता है। एक रिसर्च पेपर में कहा गया है कि यह यानी बाइल के स्राव को बढ़ाता है, जिससे भूख भी बढ़ सकती है। इसी वजह से चिरायता का उपयोग वर्षों से भूख बढ़ाने के लिए किया जा रहा है.

आंखों के लिए फायदेमंद –

चिरायता को आंखों की टॉनिक के रूप में भी माना जाता है। आंखों के स्वास्थ्य के लिए चिरायता के सेवन की सलाह दी जाती है। दरअसल विटामिन सी आंखों की रोशनी को बेहतर करने में और उम्र से संबंधित आंखों की बीमारियों से निजात दिलाने में मदद कर सकता है। वहीं चिरायता के पौधे में विटामिन सी होता है, इसीलिए चिरायता को आंखों के लिए फायदेमंद माना जाता है.

मलेरिया बुखार में –

पारंपरिक तौर पर चिरायता का यूज़ मलेरिया के बुखार से बचने के लिए भी किया जाता रहा है। चिरायता में स्वेरचिरिन नामक कंपाउंड होता है. जो एंटी मलेरिया की तरह काम कर सकता है। इसी के कारण मलेरिया और उससे संबंधित लक्षणों में से हमें निजात मिल सकती है। मलेरिया होने पर चिरायता का यूज भी किया जा सकता है.

पेट में कीड़े होने पर मददगार –

चिरायता में एंथेल्मिंटिक प्रॉपर्टी पाई जाती है। यह एक तरह से एंटीपैरासाइटिक गुण होता है। जिससे पेट की आंतों में होने वाले कीड़ों को खत्म करने में मदद मिल सकती है। इसी वजह से पेट के कीड़ों को मारने के लिए इस जड़ी बूटी का यूज किया जाता है.

जोड़ों के दर्द में मददगार –

चिरायता की जड़ को जोड़ों के दर्द से निजात दिलाने में हेल्पफुल माना जाता है। दरअसल चिरायता में स्वेरटियामारिन कंपाउंड पाया जाता है। जो एंटी-अर्थराइटिस का प्रति को दर्शाता है। इस प्रभाव से अर्थराइटिस की दिक्कत कम हो सकती है। अर्थराइटिस जिसे हम गठिया भी कह सकते हैं, जो जोड़ों में दर्द होता है।

इसी वजह से जोड़ों के दर्द की समस्या को कम करने में चिरायता प्रभावी माना जाता है.

अधिक योनि स्राव –

चिरायता के पूरे पौधे का यूज़ अधिक योनि स्राव से बचाव के लिए किया जाता है। सीबीआई के द्वारा पब्लिश किए गई रिसर्च में इस बात का जिक्र किया गया है। इस शोध में स्पष्ट है लेकिन इसमें मौजूद कौन सा तत्व किस कारण से मददगार होता है, इस पर भी शोध की जानी बाकी है.

चिरायता का उपयोग कैसे किया जाए –

चिरायता के पौधे और जोड़ दोनों का उपयोग किया जा सकता है। आइए हम जानते हैं कि इसके सेवन के तरीके क्या है और यह कितनी मात्रा में लेना चाहिए।

  • चिरायता को गर्म पानी और लोंग या दालचीनी के साथ तैयार कर सकते हैं, उसमें 1 से 2 बड़े चम्मच आप पी सकते हैं.
  • दिन में दो बार खाने से पहले 60 ml चिरायता के अर्क का सेवन आप टॉनिक के रूप में कर सकते हैं
  • इससे आपकी शारीरिक कमजोरी से निजात मिलती है
  • चिरायता के पत्तों का जूस निकालकर भी आप पी सकते हैं
  • कड़वा जरूर होते हैं इसलिए इसमें शहद मिला सकते हैं
  • चिरायते की जड़ हिचकी, उल्टी में भी बहुत मददगार है
  • खुराक के रूप में शहद के साथ 0. 5 से 2 ग्राम तक आप इसका सेवन कर सकते हैं.

चिरायता से सिर्फ फायदे ही नहीं होते इससे आपको नुकसान भी हो सकते हैं तो चलिए हम इन की बात करते हैं

वैसे तो चिरायता का लंबे समय तक आयुर्वेदिक औषधि के रूप में सेवन किया जाता रहा है। लेकिन इसके अधिक सेवन से इसके नुकसान भी हो सकते हैं। रिसर्च में तो यह कहा गया है कि मनुष्य में चिरायता की कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं है, लेकिन फिर भी से होने वाली सामान्य नुकसान के बारे में हम बात कर लेते हैं।

  • गर्भवती महिलाएं स्तनपान कराने वाली माताएं इसे खा सकती है या नहीं यह तो भी स्पष्ट नहीं है, इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के ऑफिस का सेवन ना करें
  • यह स्वाद में कड़वा होता है, इससे खाने के बाद भी आपका मुंह कड़वा रह सकता है
  • गैस्ट्रिक यानी पेट की ओर आंत के अल्सर की समस्या वालों को चिरायता के सेवन से बचना चाहिए
  • जिनका रक्तचाप कम हो, ब्लड प्रेशर की दवाई लेने वाले लोगों को सेवन से बचना चाहिए क्योंकि यह आपके रक्त शर्करा लेवल को कम कर सकता है.

दोस्तों आप चिरायता से होने वाले फायदे, नुकसान दोनों ही समझ गए होंगे। चिरायता एक आयुर्वेदिक औषधि है। इसका उपयोग कई बीमारियों के लिए सदियों से किया जा रहा है । ऊपर दी जानकारी से इस के सेवन की सूझबूझ के साथ, आप इसका लाभ उठा सकते हैं। किसी भी चीज का सेवन जरूरत से ज्यादा कभी नहीं करना चाहिए, क्योंकि अति हर चीज की बुरी होती है.

पूछे जाने वाले सवाल –

1 . चिरायता के उपयोगी भाग कौन-कौन से हैं ?

# चिरायता का पौधा की जड़ और इसकी पत्तियां यानी यह पूरा पौधा ही उपयोगी होता है।

2. क्या चिरायता रोज सेवन कर सकते हैं ?

# हां स्वस्थ रहने के लिए औषधि के रूप में आप इसका सेवन कर सकते हैं

3. क्या चिरायता का सेवन करना किडनी के लिए अच्छा है ?

# हां चिरायता का पौधा किड्नी जैसी बीमारी है उनके लिए भी फायदेमंद बताया गया है

5. चिरायता का पौधा कहां पाया जाता है ?

# यह हिमालय वाले इलाकों में पाया जाता है

7. क्या चिरायता और कालमेघ दोनों एक हैं ?

# नहीं, कालमेघ और चिरायता अलग-अलग पौधे हैं

8. क्या चिरायता त्वचा के लिए अच्छा है?

# हम ऊपर बता चुके हैं कि चिरायता का पौधा जड़ स्किन के लिए अच्छा होता है

9. क्या चिरायता सेहत के लिए अच्छा है ?

# हाँ, चिरायता का पौधा उसकी जड़ सेहत के लिए बहुत लाभदायक है। इसके फायदों के बारे में मैंने आपको ऊपर विस्तार से जानकारी दी है.

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